दूध क्यो नही ?

दूध क्यो नही ?
दूध के बारे में अनेक मान्यताएं फैली है । उस पर अनेक अन्वेषण हुए और अभी भी कई अनुसंधान हो रहे है । वैज्ञानिको ने अनुसंधान के अंत मे कहा कि दूध सम्पूर्ण आहार है । दूध में कैल्शियम, प्रोटीन है, आदि – आदि वे बहुत कुछ लिखते है । उन्होंने जो साबित किया है वह सही है किन्तु हम उसका अर्थ अलग प्रकार से करते है । जो दूध ईश्वर ने दिया है वह उसके बच्चे के लिय है । उसे हम ग्रहण करते है जिससे कोई फायदा नही होता । मनुष्य पशुओं के बच्चो का दूध अपने स्वार्थ के लिय उपयोग कर अनेक बीमारियों को आमंत्रित करता है ।
गाय, भैस को हम जब दुहने जाते है तब वे हमें सरलता से दूध नही देते, जब हम उसके बछड़े को छोड़ेंगे तब पशु अपने बच्चे का पेट भरने के लिए दूध छोड़ने लगता है । तब हम पशु के बच्चे को दूध नही पीने देते और पकड़ कर खूंटे से बांध देते है । बेजुबान प्राणी और उसका बछड़ा तड़पता रहता है और उसके हिस्से का दूध जब हम दुहते है तब वह कई बार पाँव पटककर मना करती है किन्तु पाँव को बांधकर भी दूध छीन लेता है । तब गाय की आँख के सामने आप ध्यान से देखे तो पता चलेगा कि उसकी आंख से आंसू की बूंदे टपकती है । इस प्रकार हम कुदरत के नियमों को तोड़कर वह दूध अपने बच्चों को पिलाते है । कई बार हम देखते है कि छोटे बच्चे इस पराई माँ का दूध पीने से इन्कार करते है । तब माँ बच्चे का हाथ-पाँव पकड़ कर दूध पिलाती है मानो बड़ा साहस का कार्य किया हो और आनंद महसूस करती है ।
ईश्वर माँओ को उनके बच्चों के लिये दूध देते है । किन्तु आजकल की स्त्रियां अपना शरीर फीका पड़ जाने की दलील कर मुक्त रूप से अपना दूध बच्चों की नही पिलाती । जब बच्चा दूध के लिए रोने लगता है । माँ येन केन प्रकारेण पराई माँ (पशु) का दूध पिलाने का प्रयास करती है । बच्चा अपनी भूख मिटाने के लिए धीरे – धीरे पीने लगता है और फिर उस दूध की उसे आदत पड़ जाती है ।
माता के दूध की तुलना में पशुओं के दूध में 43 प्रतिशत क्षार ज्यादा होता है । वह दूध ओर दूध से बनने वाली मिठाई लोग खाते है ; तब गैस, कफ, पित्त होता है । आज का विज्ञान दवाई और दूध द्वारा बीमारी भगाने का प्रयास करता है । किन्तु मनुष्य दवाई और दूध से असाध्य बीमारी का शिकार बन जाता है । हम आज देखते है कि 30 वर्ष का व्यक्ति भी ह्रदय रोग के हमले से बच नही सकते ।
छोटे बच्चों को वाह्य कोई खुराक, पानी, कीटनाशक रासायनिक छिड़काव वाली सब्जी, अनाज, फल नही देते फिर भी उसे बार-बार बुखार, सर्दी, खाँसी, फोड़े, ऐठन आना , ह्रदय की धड़कनें बढ़ जाना जैसी कई बीमरियां होती है । उसका सिर्फ और सिर्फ कारण पशुओ के दूध का उपयोग है । मानव शरीर उसे पचा नही पाता है । पशुओ का दूध बन्द करवाने बाद कई बीमारियां दूर होते देखी है । भारत मे उसके अनगिनित उदहारण है । अगर आपको विश्वास न हो तो सिर्फ तीन माह प्रयोग करें, जिससे आप अनुभव करेंगे कि दूध और दूध की मिठाईया बन्द करने से कितना फायदा होता है ।
आज हम देखते है कि दिन-प्रतिदिन जनसंख्या बढ़ती जा रही है । जब कि पशुओं की संख्या कम होती जा रही है । प्रत्येक मनुष्य जन्म से मृत्यु तक दूध और दूध से बनने वाली अनगिनत वस्तुओं की भारी मात्रा में उपयोग करता है । तो इतना सारा दूध कहां से आता है ? उसका हमने कभी विचार किया ? आज आप डेरी में दूध लेने जाएंगे तो आपको पूछेंगे की कितने रुपयो वाला दूध दूँ ? क्योकि दूध अलग-अलग प्रकार के होते है । दूध की कमी महसूस नही होती । तो इस दूध मे से पहले प्रकार के दूध की बात करते है । वह है सिन्थेटिक दूध । यह दूध केमिकल से बनाया जाता है । उसमें बर्फ डालकर हमारे तक पहुँचाया जाता है । अतः वह दूध हानिकारक है । दूसरा दूध डेरी का दूध । हम पहले देख चुके है कि प्राणी सीधे-सीधे दूध नही देते किन्तु उनका बछड़ा जब थनपान करने लगता है तब छोड़ते है । किन्तु गऊशाला में अनेक गाय, भैस को केमिकल वाला इन्जेक्शन देकर उसके थन में दूध खीचने की मशीन फिट कर सारा दूध खिंच लिया जाता है । उसके साथ यह केमिकल एवम कई बार पशु का लहू भी खिंच जाता है । वह दूध हम तक पहुँचता है । उससे बनने वाली वस्तुएं हानिकारक है ।
तीसरा दूध पेश्चुराइज्ड दूध । वह आज बहुत ही प्रचलित है और बड़े शहरों में उसका खुलेआम उपयोग होता है । यह दूध सब से पहले आस-पास के गाँव से गाय, भैस, बकरी, ऊँटनी, भेड़ आदि पशुओ का दूध बड़ी डेरी में एकत्र किया जाता है । वहां इन सारे दूध की मलाई निकाल ली जाती है । उससे मक्खन और घी बनाया जाता है । शेष मलाई निकाला हुआ दूध पतला हो जाता है । उसमें अलग-अलग फेंटने के अनुसार पाउडर मिक्स कर उसे बहुत ही ऊँचे उष्ण तापमान पर गर्म कर तुरन्त ही ठण्डा कर प्रिजर्वेटिव का उपयोग कर, मशीनों द्वारा प्लास्टिक की अलग-अलग थैली में पैक कर हम तक पहुँचता है । यह दूध मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।
चौथा दूध गाय का है । हम गाय को पवित्र मानते है । उसमें 33 कोटि देवताओ का निवास है । हम गाय को माता के रूप में पूजते है किन्तु हम देखते है कि लोग गाय सुबह दुहकर खुली छोड़ देते है । जो हमारे घर की झूठन, गलियो में छोटे बच्चो की गंदगी तथा कूड़ा खाती है । जैसा आहार वैसा दूध । अतः उसका दूध भी गन्दगी वाला ही होगा और शाम को दुहकर वह हम तक पहुँचता है अतः यह दूध भी हानिकारक है ।
इस प्रकार यह पांच प्रकार का दूध पीने योग्य नही । मनुष्य ऐसा प्राणी है कि वह नये-नये प्रश्न पूछकर कहता है – हम गाय-भैस को अच्छी खुराक देते है । हमारी नजरो के सामने कोई गंदगी खाने नही देते । उसमे कोई मिलावट नही करते । तो उस दूध का उपयोग करने में क्या समस्या ? तब मुझे लोगो को इतना ही कहना है कि बड़े आश्रम / मन्दिर में स्वयं की गोशाला होती है । वहां कुदरती वातावरण होता है । इस गोशाला में गाय भैस को दवाई छिड़के बिना घास, आदि अच्छे पौस्टिक आहार देते है । वह प्रतिदिन नहलाई जाती है । उसका स्थान स्वच्छ रखा जाता है । उसके ऊपर चौबीस घण्टे पँखे चलते होते है । इस गाय-भैस को दुहने में बहुत ही सावधानी बरती जाती है । वह दूध आश्रम, मन्दिर में रहने वाले साधु संत उपयोग करते है । अतः साधु, संत तो स्वस्थ होने चाहिए । किन्तु वे भी आगे बनाये अनुसार भयंकर बीमारी का शिकार बनते है । अकाल मृत्यु होती है । अतः पराई माता (पशु) का दूध मनुष्य के लिए उपयोगी नही है ऐसा हमारा मानना है । हमने यह सब शुक्ष्म तौर पर देखा समझा और स्वयं व अपने कई मित्रो पर प्रयोग करने के पश्चात ही यह कहा है । अब आपको दूध का उपयोग करना है या नही यह आपके विवेकाधीन है ।
दूध बन्द कर दे तो कमजोरी नही आएगी ?
जब आप बरसो पुराने आहार में परिवर्तन करेंगे और यह तरीका शुरू करोगे तो थोड़े दिनों में ही प्राणशक्ति आपके शरीर से व्यर्थ का कचरा (कूड़ा) बड़ी तेजी से बाहर निकालने लगेगी । ऐसे समय आपको थोड़ी कमजोरी लगेगी । उससे घबराने की जरूरत नही । थोड़े दिनों में शरीर से विकार दूर होते ही पुनः शक्ति, स्फूर्ति लौटेगी । फिर भी तत्काल राहत के लिए निम्णासुर जूस पिए ।
एक व्यक्ति की खुराक :-
1 अंजीर, 5 मनुक्का, 20 काले अंगूर, 7 देसी खजूर को सुबह 1 गिलास ठन्डे पानी से साफ कर, भिगोकर शाम चार से छः के बीच उसे मिक्सर में पीसकर जूस बनाकर घुट भर-भर पिए जिससे नया रक्त, मांस बनेगा और कमजोरी दूर होगी । यह जूस कोई भी व्यक्ति पी सकता है । छोटे बच्चो को आधा गिलास देना है । जिस व्यक्ति को हीमोग्लोबिन कम हो उसे हर रोज शाम को अल्पहार के स्थान पर एक गिलास जूस पीने से थोड़े दिनों में हिमोग्लोबिन की कमी दूर होगी ।
शुभमस्तु
तंत्र चिकित्सा

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