मानवीय देह में ‘बुद्धि’ – रूप पारदर्शक यन्त्र द्वारा उतरता हुआ, चित्त-काश-युक्त तथा सूक्ष्म तत्व-भाव निर्मित ‘मन’ – एक विचित्र रहस्यमय वस्तु है ।
योगनुभवि महा व्यक्ति इस दिव्य पदार्थ ‘मन’ को स्थूल और सूक्ष्म जीवन का ” सन्धि-बिंदु” कहते है । कोई ‘मन’ को “जीवनांग तत्व” के नाम से जानते है और कई ‘मन’ का “विचार ग्रन्थि” बताते है ।
‘मन’ – बाह्य दर्शन तथा व्यक्तित्व का मूल हेतु होने के कारण जीवन में प्रत्येक अलौकिक अथवा अभूतपूर्व शक्ति को उत्पन्न करनेवाला प्रधान यन्त्र है ।
व्यक्ति के लिए दिव्य गुणमय, उच्च सत्त्वभाव मे या तमोभाव मे चढ़ने-उतरने के लिए ‘मन’ एक रहस्यमय सीढ़ी है ।